Nothing & Nobody is Permanent

मुनि आदित्यसागर जी महाराज नीति प्रवचन में बताते हैं कि जीवन में “समय का मूल्य समझना” सबसे अहम है।जो भी जीवन में उपयोगी है, वक्त निकलने पर अनुपयोगी हो जाता है, और जिस वस्तु या व्यक्ति को अनुपयोगी समझा जाता है, वह सही समय पर बहुत उपयोगी बन सकता है।

समय पर काम करना सबसे बड़ी समझदारी है—अगर कोई कार्य समय पर नहीं किया, तो जरूरत पड़ने पर उसका कोई फायदा नहीं मिलेगा; जैसे देर से परोसा गया खाना, ठंडा भोजन या देर से आई एम्बुलेंस, ज़रूरत के अलावा बेकार हो जाते हैं।

दूसरी ओर, जिन वस्तुओं को अक्सर घर में अनुपयोगी मानकर छोड़ दिया जाता है, समय आने पर वही बहुत महत्वपूर्ण हो जाती हैं। वो कहते हैं, “कभी किसी भी चीज़ या व्यक्ति को बेकार मत मानो।”क्योंकि छोटी-सी चिंगारी भी अनदेखी करने पर जंगल की भीषण आग बन सकती है, वैसे ही मामूली व्यक्ति या वस्तु, समय और परिस्थिति आने पर बड़ा बदलाव ला सकती है।

उदाहरण के लिए, कपड़ों के पुराने जोड़े एक ही झटके में होली के दिन बेहद काम के लगते हैं। रोजमर्रा के जीवन, रिश्तों, और समाज में जब ज़रूरत आती है तो अनुपयोगी मानी गई चीजें भी महत्वपूर्ण हो जाती हैं।

मुनि जी के अनुसार,

  1. वक्त बदलता है, चीजें और लोग भी बदलते हैं
  2. भूतकाल का अनुपयोगी कभी भी भविष्य में उपयोगी बन सकता है
  3. व्यक्ति, वस्तु, परिस्थिति—सबका अस्तित्व अस्थायी है; न कोई हमेशा के लिए अनुपयोगी, न उपयोगी

रामायण और ऐतिहासिक कथाओं के दृष्टांतों से बताया गया है कि कोई भी परिस्थिति या शक्ति शाश्वत नहीं है—रावण-राम, जंगल में चिंगारी—जब वक्त बदलता है, तो पूरा परिणाम भी बदल सकता है।

अंत में वे सिखाते हैं:

  • किसी को छोटा या बेकार न समझें
  • वक्त और समय का आदर करें
  • अपने माइंडसेट को अपडेट रखें, खुद को कभी अंडरस्टेट ना करें
  • परिवर्तन सृष्टि का नियम है, कोई चीज़ या व्यक्ति हमेशा एक जैसा नहीं रहता |

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