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Aditya Sagar Ji | विशुद्ध सागर जी

🌿मुनि श्री 108 आदित्य साग जी महाराज🌿

Aditya Sagar Ji

मुनि श्री आदित्य सागर​

(शिष्य – आचार्य श्री 108 विशुद्ध सागर जी महाराज)

मुनि श्री 108 आदित्य सागर जी महाराज जैन धर्म के महान संतों में से एक हैं, जिन्होंने सांसारिक जीवन को त्यागकर आत्मकल्याण और धर्म प्रभावना का मार्ग अपनाया। उनका जन्म 24 मई 1986 को जबलपुर, मध्य प्रदेश में हुआ। सांसारिक जीवन में वे उच्च शिक्षित थे और एम.बी.ए की डिग्री प्राप्त कर चुके थे, लेकिन आध्यात्मिकता और आत्मसाधना के प्रति उनकी गहरी रुचि ने उन्हें साधु जीवन की ओर प्रेरित किया। उन्होंने 8 नवंबर 2011 को सागर, मध्य प्रदेश में आचार्य श्री 108 विशुद्ध सागर जी महाराज से दीक्षा ग्रहण की और कठोर तप, स्वाध्याय और आत्मशुद्धि के मार्ग को अपनाया।

उपक्रम

मुनि श्री 108 आदित्य सागर जी महाराज जैन धर्म के महान संतों में से एक हैं, जिन्होंने

प्रवचन

मुनि श्री 108 आदित्य सागर जी महाराज जैन धर्म के महान संतों में से एक हैं, जिन्होंने

श्रुत शमादान

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"श्रुतसंवेगी महाश्रमण ससंघ अब कहाँ ? गुरुभक्तों का पुण्य जागेगा जहाँ।"

पट्टाचार्य श्री 108 विशुद्धसागर जी यतिराज के प्रज्ञावंत शिष्य श्रुतसंवेगी महाश्रमण श्री 108 आदित्यसागर जी ससंघ के

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मुनि श्री आदित्य सागर द्वारा दिए गए अचूक सूत्र

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🎙️मुनि आदित्य सागर जी के संग आध्यात्मिक संवाद | होस्ट: राघव शर्मा

इस विशेष संवाद में मुनि आदित्य सागर जी जैन धर्म के गूढ़ सिद्धांतों, अहिंसा, आत्मशुद्धि और कर्म सिद्धांत की व्याख्या करेंगे। जैन परंपरा, जो तिर्थंकरों द्वारा प्रवर्तित हुई, मोक्ष प्राप्ति का मार्ग दिखाती है।
होस्ट: राघव शर्मा  के साथ इस ज्ञानवर्धक चर्चा को अवश्य देखें और जैन दर्शन की गहराई को समझें

मुनि श्री 108 आदित्य सागर​​​ जी

व्यामोह से मोहित जग में, मोक्षमार्ग की आशा हैं, भूले-भटके पथिक जनों के, जीने की अभिलाषा हैं, कोई पूछे गर तुम से आ कर, साधु किन को कहते हैं ? तो कहना आदित्यगुरु की चर्या ही साधु की परिभाषा है।

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