पूज्य मुनिश्री १०८ आदित्यसागर जी महाराज का साहित्य योगदान
पूज्य मुनिश्री १०८ आदित्यसागर जी महाराज केवल तप और साधना के प्रतीक ही नहीं हैं, बल्कि वे जैन साहित्य और आध्यात्मिक ग्रंथों की अमूल्य निधि भी हैं। आपने अब तक ५०,००० से अधिक श्लोकों की रचना की है और सैकड़ों पुस्तकों, ग्रंथों एवं ई-बुक्स के माध्यम से जैन धर्म और दर्शन को नई पीढ़ियों तक पहुँचाया है।
आपकी लेखनी का उद्देश्य केवल ज्ञान प्रदान करना नहीं, बल्कि प्रत्येक श्रावक और श्राविका के जीवन में आत्मिक जागृति, वैराग्य और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करना है। आपकी रचनाएँ सरल भाषा में होते हुए भी गहन आध्यात्मिकता और दार्शनिक गहराई से परिपूर्ण हैं। यही कारण है कि आपकी पुस्तकों और ग्रंथों का अध्ययन हर साधक के लिए एक आध्यात्मिक यात्रा जैसा अनुभव कराता है।
यहाँ उपलब्ध सभी पुस्तकें, ई-बुक्स और ग्रंथ न केवल श्रुत-सम्पदा का संरक्षण हैं, बल्कि जीवन जीने की कला, आत्म-संयम और अनुशासन का भी अद्वितीय मार्गदर्शन करते हैं। प्रत्येक साहित्यिक कृति पाठकों को धैर्य, संयम और मोक्षमार्ग की ओर अग्रसर करती है।
👉 इस अनुभाग में आप पूज्य मुनिश्री १०८ आदित्यसागर जी महाराज द्वारा रचित सभी ग्रंथों, पुस्तकों और ई-बुक्स का अध्ययन और डाउनलोड कर सकते हैं।
4 बातें पुस्तक (भाग 1-16) आर्डर फॉर्म
शंका समाधान, भावना योग प्रवर्तक, गुणायतन प्रणेता मुनि श्री 108 प्रमाण सागर जी महाराज की 4 बातें (भाग 1 से 16) पुस्तकों का गिफ्ट पैक सीमित समय के लिए मात्र 1,100 रूपए में सुलभ है। इसकी वास्तविक कीमत 2,800 रूपए है।
Branch Name:
A/c Number:
IFSC Code:
Account Type: Current Account
Mobile (मोबाइल): 123456789 (WhatsApp)