व्यामोह से मोहित जग में, मोक्षमार्ग की आशा हैं, भूले-भटके पथिक जनों के, जीने की अभिलाषा हैं, कोई पूछे गर तुम से आ कर, साधु किन को कहते हैं ? तो कहना आदित्यगुरु की चर्या ही साधु की परिभाषा है।